भारत सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को थल सेना का अगले प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है। फरवरी 2022 में थल सेना के उप प्रमुख बनाए गए लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे देश के 29 वे सेना अध्यक्ष होंगे। इस पद पर उनकी नियुक्ति 30 अप्रैल 2022 से प्रभावी होगी और वह जनरल एम एम नरवणे की जगह लेंगे।
रक्षा बलों से जुड़ा है इनका परिवार।
6 मई 1962 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले हैं। उनके परिवार के कई सदस्य भी रक्षा बलों से जुड़े रहे हैं। उनके शिक्षाविद पिता नागपुर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए।
मनोज पांडे की शिक्षा।
स्टाफ कॉलेज कैम्बरली (ब्रिटेन) से स्नातक लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने प्रारंभिक स्कूली शिक्षा नागपुर शहर से प्राप्त की है। उन्होंने हायर कमांड (HC) तथा नेशनल डिफेंस कॉलेज (NDC) कोर्स किया है। 39 वर्षों से अधिक समय के विशिष्ट सैनिक करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कमान किए हैं तथा विभिन्न ऑपरेशनल एनवायरमेंटस में नियुक्त रहे हैं।
इस पद के लिए पहले इंजीनियर।
वह कोर ऑफ इंजीनियरर्स से थल सेना अध्यक्ष बनने वाले पहले अधिकारी होंगे। नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के पूर्व छात्र रहे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे 1982 में कॉर्प्स ऑफ इंजीनियरर्स (द बॉम्बे सैप्पर्स) में कमीशन हुए थे।
ऑपरेशन पराक्रम।
वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन पराक्रम’ का वह हिस्सा रहे थे। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास इंजीनियर रेजीमेंट की कमान संभाली। इस ऑपरेशन के दौरान पश्चिमी सीमा पर सैनिकों और हथियारों कि बड़े पैमाने पर लामबंदी हुई थी।
इनकी जिम्मेदारियां।
उन्होंने अपनी कमान की नियुक्तियों के दौरान पश्चिमी युद्ध क्षेत्र में एक इंजीनियर ब्रिगेड की कमान संभाली है। उन्होंने हमलावर फौजी दस्ते के साथ काम किया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर एक पैदल ब्रिगेड के साथ उनकी सेवाएं भी शामिल है। उनकी अन्य महत्वपूर्ण कमांड नियुक्तियों में पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्र में एक माउंटेन डिवीजन तथा एल ए सी के साथ और पूर्व कमान के काउंटर इमरजेंसी ऑपरेशन क्षेत्र में एक कोर कमान संभाली।
उपलब्धियां (मेडल)।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM) अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) विशिष्ट सेवा मेडल (VSM) से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें सेनाध्यक्ष प्रशस्ति तथा दो बार जीओसी-इन-सी प्रशस्ति प्रदान किया जा चुका है।
तारीख: 20/04/2022
लेखक: शत्रुंजय कुमार।