विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की 10 लाख से अधिक आशा स्वंयसेवकों को ‘ग्लोबल हेल्थ लीडर्स’ अवार्ड से सम्मानित किया है। इन स्वयंसेवकों को यह सम्मान ग्रामीण क्षेत्रों में स्वस्थ्य सुविधाएं पहुंचाने और देश में कोविड 19 वायरस महामारी के खिलाफ अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए दिया गया है।
कौन होती है आशा?
मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता या आशा स्वयंसेवक भारत सरकार से जुड़े स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करते हैं। देश भर में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तकरीबन 10.61 लाख आशा हैं, जो समुदाय और जनस्वास्थ्य प्रणाली के बीच एक कड़ी का काम करते हैं। आशा कार्यक्रम को पहली बार 2006 में लॉन्च किया गया था।
WHO ने क्या कहा?
इस मौके पर WHO ने कहा कि इन आशा कार्यकर्ताओं को समुदाय को स्वस्थ्य प्रणाली से जोड़ने और ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगाें तक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मानित किया जाता है।
WHO के अनुसार ऐसे समय में जब दुनियां असमानता, संघर्ष, खाद्य असुरक्षा, जलवायु संकट और महामारी का एक साथ सामना कर रही है, यह पुरस्कार उन लोगाें के लिए है जिनका दुनियां भर में स्वास्थ्य की रक्षा और बढ़ावा देने में उतकृष्ट योगदान रहा है।
इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा।
इस उपलब्धी पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:- “अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आशा कार्यकर्ताओं की पूरी टीम को WHO महानिदेशक के ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है। सभी आशा कार्यकर्ताओं को बधाई। एक स्वस्थ्य भारत सुनिश्चित करने मेें वह सबसे आगे हैं। उनका समर्पण और दृढ़ संकल्प सराहनीय है।”
तारीख: 24/05/2022
लेखक: शत्रुंजय कुमार।