भुगतान संतुलन (बैलेंस ऑफ पेमेंट्स-BOP) गंभीर समस्या के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था इन दिनों संकट में है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटता जा रहा है। भारी विदेशी कर्ज, पावर ब्लैकआउट, लॉकडाउन में बढ़ती महंगाई, आपूर्ति में कमी और जनता के असंतोष के कारण देश के हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं।
मीडिया के अनुसार, यह संकट सरकारों के लगातार आर्थिक कुप्रबंधन से पैदा हुआ है, जिसके कारण जुड़वा घाटा बन रहा है। जुड़वा घाटे का अर्थ है कि एक देश का राष्ट्रीय व्यय उसकी राष्ट्रीय आय से अधिक है, और उसमें व्यापार योग्य वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन आपर्याप्त है।
आपातकाल
आर्थिक मंदी के कारण बिजली कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी के विरोध में हजारों लोग जब सड़कों पर उतर आए तो श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 1 अप्रैल को आपातकाल की घोषणा कर दी। वहीं, 5 अप्रैल को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के सत्तारूढ़ गठबंधन ने संसद में बहुमत खो दिया। सत्तारूढ़ गठबंधन से कम से कम 41 सांसदों ने बाहर निकलने की घोषणा की।
कोरोना महामारी
श्रीलंका में मौजूदा हालातों का एक कारण पर्यटन उद्योग का पतन भी है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 10% योगदान देता है। 2019 में कोलंबो में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद पर्यटन की स्थिति पहले ही खराब हो रही थी, कोरोना महामारी ने हालातों को और भी खराब कर दिया है।
टैक्स में कटौती
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे द्वारा की गई टैक्स में कटौती से जुड़वा घाटे का संकट और विकट हो गया था। टैक्स में कटौती कोरोना महामारी से कुछ महीने पहले ही लागू की गई थी। इसके अलावा, 2021 में सभी रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से चावल की पैदावार में गिरावट आई।
कर्ज
फरवरी तक श्रीलंका के पास $2.31 अरब का विदेशी मुद्रा भंडार बचा था, लेकिन 2022 में उसे लगभग $4 अरब का कर्ज चुकाना है। श्रीलंका पर करीब $12.55 अरब का विदेशी कर्ज है, जिसमें एशियाई विकास बैंक, इंटरनेशनल सावरेन बॉन्ड, जापान और चीन प्रमुख ऋणदाता है।
मदद के लिए बढ़े हाथ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि वह आने वाले दिनों में श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ संभावित ऋण कार्यक्रम पर चर्चा शुरू करेगी। चीन $1.5 बिलीयन की मुद्रा अदला-बदली और $1.3 बिलीयन की सिंडिकेटेड ऋण के साथ श्रीलंका की मदद कर रहा है। वह कथित तौर पर $1.5 बिलीयन की क्रेडिट सुविधा और $1 बिलियन तक के एक अलग ऋण की पेशकश करने पर भी विचार कर रहा है।
भारत मदद के लिए क्या कर रहा है
श्रीलंका की मदद करने के लिए जनवरी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने $40 करोड़ करेंसी स्वैप (मुद्रा की अदला-बदली) की। आरबीआई ने भारत से ईंधन खरीदने के लिए $50 करोड़ की क्रेडिट लाइन पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसी कड़ी में भारत ने 40,000 मीट्रिक टन डीजल की एक खेप श्रीलंका को भेजी है। इसके अलावा भारत ने श्रीलंका को खाद्य उत्पादों, दवा एवं अन्य जरूरी चीजों की खरीद के लिए $1 अरब की ऋण सुविधा प्रदान करने की घोषणा भी की है।
तारीख: 06/04/2022
लेखक: निशांत कुमार।